असम की कम असम की सीएम शर्मा।।बांग्लादेशी मुसलमान को मानना पड़ेगा साथ हीअसम के सीएम हेमंत विश्व शर्मा ने कहा कि यदि बांग्लादेशी मुसलमान भारतीय बनाना चाहते हैं तो वह अपनी नाबालिक बेटियों की शादी नहीं कर सकते हैं। सीएम हेमंत ने शनिवार को कहा कि बंगाली भाषा मुसलमान विदेशी है या नहीं वह एक अलग मामला है हम जो के कह रहे हैं वह है कि अगर वह स्वदेशी बनने की कोशिश करते हैं तो इसमें कोई समस्या नहीं है
बांग्ला भाषा प्रवासी मुसलमान को बाल विवाह छोड़ना होगा गुवाहाटी सीएम हेमंत विश्व शर्मा
मियां के स्वदेशी होने में कोई समस्या नहीं सीएम हेमंत
गुवाहाटी पीटीआई
असम में मौजूद बांग्लादेशी मूल के बंगाली भाषा प्रवासी मुसलमान को मूल निवासी का दर्ज चाहिए तो उन्हें हेमंत सरकार की कुछ शर्त मानने होगी असम के मुख्यमंत्री हेमंत विश्व शर्मा ने कहा कि अगर बंगाली भाषा प्रवासी मुसलमान को भारतीय नागरिकता चाहिए तो उन्हें दो से अधिक बच्चों पैदा करना बंद करना पड़ेगा। वही एक से अधिक शादी पर रोक लगाने होगी क्योंकि यह आसामी और लोगों की संस्कृति नहीं है
बांग्लादेशी मुसलमान को मारने होगी यह सत्र
सीएम ने आगे कहा यदि बांग्लादेशी मुसलमान भारतीय बनना चाहते हैं तो वह अपनी नाबालिक बेटियों की शादी नहीं कर सकती है हेमंत विश्व शर्मा ने 23 मार्च को कहा कि बंगाली भाषा मुसलमान स्वदेशी है या नहीं वह एक अलग मामला है हम जो कहते हैं वही की अगर वह स्वदेशी बनने की कोशिश करते हैं तो हमें कोई समस्या नहीं लेकिन उनके लिए उन्हें बाल विवाह छोड़ना होगा बहुविभाव और महिलाओं शिक्षा को प्रोत्साहित करना होगा
कम और भी बोला कि दो-तीन पत्नियों नहीं रह सकती है वह असमिया संस्कृति नहीं है तो उसे शर्ट को आप सभी को पालन करना पड़ेगा तभी जाकर नागरिकता प्राप्त होगी।
बाल विवाह पर क्या बोली सीएम
सीएम ने कहा अगर बांग्ला वासी मुसलमान असमिया रीति और रिबाज को पालन कर सकते हैं तो उन्हें भी स्वदेशी माना जाएगा। सीएम ने पहले कहा कि राज्य सरकार ने पिछले साल दो चरणों में बाल विवाह के खिलाफ गहन राज्य का भाई शुरू की थी और वह पाया गया है कि कोई बुजुर्ग पुरुष ने कोई शादी की और उनकी पत्नी आज ज्यादातर जुबा लड़की थी जो समझ के गरीबी वर्ग से थी।
शशर्मा दादा किया है कि अगले विधानसभा चुनाव 2026 तक कम उम्र में विभव की प्रथा को खत्म कर दिया जाएगा बाल विवाह को समाप्त करने के लिए राज्य आमंत्रण मंडल ने पिछले महीने आशा मुसलमान विवाह और तलाक पंजीकरण 1935 को निरस्त करने की