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2024 का पहले सूर्य ग्रहण ;54 साल के बाद जने भयंकर असर रहेगा भारत के ऊपर surya grahan 2024

सूर्य ग्रहण 2024 ,सोलर एक्लिप्स

2024 का पहले सूर्य ग्रहण ;54 साल के बाद जने भयंकर असर रहेगा भारत के ऊपर surya grahan 2024

साल की साल की पहला सूर्य ग्रहण 8 अप्रैल 2024 यानी चैत्र माह अमावस्या दिन लगने जा रहा है। वह सूर्य ग्रहण 4 घंटे 25 मिनट का होने वाला है। सोमवार का दिन लगेगा वह ग्रहण 8 अप्रैल को रात 9:00 बजे कर 12 मिनट पर शुरू हो जाएगा और उसका समाप्त रात 2:22 पर होगा इस सूर्य ग्रहण का मध्य समय रात 11:40 पर होगा वह सूर्य ग्रहण होगा सूर्य ग्रहण की आबादी 4घंटे 25 मिनट की होगीभारत में इस ग्रहण की काफी चर्चा हो रही है क्योंकि इसके अगले दिन ही भारत में हिंदू नया साल और चैत्र नवरात्रि की शुरुआत हो रही है। चलिए पता करते हैं कि साल की पहले सूर्य ग्रहण को लेकर भारत सहित दुनिया में कब और कहां दिखेगा वह सूर्य ग्रह

ग्रहण नाम से ही अक्षर लोगों में एक नकारात्मक भावना उत्पन्न हो जाता है सूर्य ग्रहण हो या चंद्र ग्रहण ।साल का पहला सूर्य ग्रहण 8 अप्रैल 2024 को लग रहा है इस बार सूर्य ग्रहण को लेकर लोगों के मन में इसलिए डर है कि पिछले 50 सालों में ऐसे ग्रहण की आबादी लंबी नहीं हुआ था।

8 अप्रैल को लगने वाला वह सूर्य ग्रहण 4 घंटा 25 मिनट का होने वाला है। भारत में भी इस ग्रहण की काफी चर्चा हो रही है क्योंकि उसके अगले दिन ही भारत में हिंदू नया साल और चैत्र नवरात्रि की शुरुआत हो रही है। चलिए पता करते हैं कि साल के पहले सूर्य ग्रहण को लेकर भारत सहित दुनिया में कब और कहां दिखाई सूर्य ग्रहण।

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क्यों होता है सूर्य ग्रहण:

बता देते हैं की पूर्ण सूर्य ग्रहण तब होता है जब चंद्रमा सूर्य और पृथ्वी के बीच से गुजरता है जिससे सूर्य पूरी तरह से छुप जाता है। इस घटना को पूर्ण सूर्य ग्रहण के नाम से जाना जाता है

कब दिखाई देगा सूर्य ग्रहण

सूर्य ग्रहण के दौरान क्या नहीं करें

  1. सूर्य सूर्य ग्रहण दौरान किसी भी सुनसान जगह मौसम पर अकेले नहीं जाना चाहिए क्योंकि इस दौरान नकारात्मक शक्तियां बी होती है
  2. ज्योति से शास्त्रों के अनुसार ग्रहण के समय सोना नहीं चाहिए और ना सी में धागा नहीं लगना चाहिए
  3. इसके अलावा ग्रहण के दौरान यात्रा करने से भी बचना चाहिए और शारीरिक संबंध बनाना भी नहीं चाहिए

सूर्य ग्रहण के समय क्या करना चाहिए

ग्रहण के बाद हनुमान जी की उपासना करें

क्या बनती है ग्रहण के बारे में पुराण में

हिंदू धर्म के पौराणिक कथाओं में मुताबिक ग्रहण का संबंध राहु और केतु ग्रह की है। बताया जाता है कि समुद्र मंथन के जब देवताओं और राक्षसों में अमृत से भरे कलश के लिए युद्ध हुआ था तब उसे युद्ध में राक्षसों की जीत हुई थी और राक्षस कलश लेकर पाताल में चले गए थे। तब भगवान विष्णु ने मोहिनी अक्षरा का रूप धारण किया और असुर से वह अमृत कलश लिए आए थे। उसके बाद जब भगवान विष्णु ने देवताओं को अमृत पिलाना शुरू किया तो संबंध नमक व्याख्या सुनाएं धोखे से अमृत पी लिया था और देवताओं को जैसे ही इस बारे में पता चला उन्होंने भगवान विष्णु को इस बारे में बता दिया उसके बाद भगवान विष्णु ने सुदर्शन चक्र से उसका फिर कट देखकर अलग कर दिया। बताया जाता है कि स्वभाव के शरीर के दो हिस्से को राहु और केतु नाम से जाना जाता है और देवताओं से अपमान का बदला लेने के बाद वह सूर्य और चंद्र से बदला लेने के लिए बार-बार ग्रहण लगते हैं।

क्या भारत में उसका शुभ फल  पड़ेगा

वह चंद्र ग्रहण भारत पर नहीं पड़ेगा इसीलिए उसका सूतक काल भारत में माननीय नहीं होगी यानी उसकी ग्रहण का देश दुनिया भर भौतिक प्रभाव और आध्यात्मिक प्रभाव सूतक का प्रभाव या किसी प्रकार का धार्मिक प्रभाव नहीं पढ़ने वाला इस ग्रहण के दौरान भारत में रहने वाले सभी लोगों के लिए सामान्य दिनचर्या होगी शास्त्रों की माने तो ग्रहण जहां लगता है और जहां दिखता है वही उसका प्रभाव ही पड़ता है।

भारत में नहीं होगा 

वह सूर्य ग्रहण भारत में नहीं दिखने वाला। ना ही कोई असर पढ़ने वाला है भारत के ऊपर। तो चलिए जानते हैं किन देशों में पड़ेगा उसकी असर। इस सूर्य ग्रहण पीकनाडा उत्तरी अमेरिका, मेक्सिको ,में दिखाई देगा उसके अलावा कोस्टा रिका ,डोमिनिका, अरे फ्रेंड्स, में वह ग्रहण दिखाई देगा

 

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